पहाड़ की नारी ऊषा ठाकुर नारी शक्ति को दिखा रही नई राह

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हिमाचल प्रदेश। जिला मंड़ी बालीचौकी के खनेटी गांव की एक महिला ऊषा ठाकुर महिला सशक्तिकरण की बेहतरीन मिसाल बनी हुई है। ऊषा ठाकुर ने यह साबित कर दिया है आज भी महिलाएं पुरुषों की भांति काम कर सकती है और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर परिवार की जिम्मेदारियों कों संभाल सकती है। आज के दौर में महिलाओं का इस तरह से हर क्षेत्र में आगे आना महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल है। आइए महिला सशक्तिकरण की बेहतरीन मिसाल बनी ऊषा ठाकुर के बारे में जानते है, कि आखिर कौन है ऊषा ठाकुर और कैसे यह महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी है। ऊषा ठाकुर की 1997 में दिले राम ठाकुर के साथ शादी हुई, दिले राम खेती बाड़ी करके परिवार का भरण- पोषण करते थे। खेती के अलावा उनके पास और कोई अन्य काम नहीं था। ऊषा भी अपने पति के साथ खेती- बाड़ी का काम करती थी।

तीन अन्य लोगों को दिया रोजगार

तीन वर्ष तक दोनों ने गांव में खेती करके पेट पाला। खेती से ही जब गुजारा न हो सका तो दोनों ने कुल्लू जाने का फैसला किया, और कुल्लू आकर एक ठेला चलाकर अपने परिवार का लालन – पालन करने लगे। साल 2000 में कुल्लू के अस्पताल के साथ एक रेहड़ी में पराठे बनाने का काम ऊषा ने शुरु कर दिया। जिला प्रशासन की तरफ से रेहड़ी लगाने वालों के लिए कलाकेंद्र के पास फूड कोर्ट बनाया गया है, जहां ऊषा ठाकुर को भी एक दुकान मिली । इसी दुकान में ऊषा रोज पराठे बनाने और बेचने लग गई। ऊषा की दुकान के साथ ही वहां बहुत सारी दुकानें और भी है , लेकिन ऊषा ठाकुर के पराठों में जो स्वाद है, वह और किसी के पराठों में नहीं है। ऊषा ने कुछ ही समय बाद पराठों के साथ दाल- चावल भी बनाना शुरु कर दिया, लोगों को भी ऊषा के हाथ से बना हुआ खाना काफी पसंद आने लग गया और ऊषा की दुकान अच्छी- खासी चलने लगी। अब ऊषा के साथ उसके पति भी दुकान में सहायता करते है, साथ ही ऊषा ने तीन और लोगों को अपनी दुकान में रोजगार दिया है।

जरुरतमंदों को मुफ्त में खिलाती है खाना

ऊषा जरुरतमंद लोगों की सहायता भी करती है व जिन लोगों के पास खाने के पैसे नहीं होते उन्हें मुफ्त में खाना खिलाती है। वह एक समाजसेवी क्षेत्र से भी जुड़ गई है। ऊषा ठाकुर प्रतिदिन 200 के लगभग परांठे बनाती है व तीन हजार रुपये तक एक दिन में कमा लेती है। ऊषा ठाकुर की इस मेहनत और लगन को देखते हुए यही साबित होता है कि यदि मन में कुछ करने का हौसला हो तो सब कुछ हो सकता है। ऊषा ठाकुर ने अपने साथ तीन अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है। ग्राहकों की लंबी लाइन इनकी दुकान में लगी रहती है, हर कोई ऊषा के हाथ से बने परांठो का स्वाद लेने के लिए बेचैन रहता है।

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