प्रधानमंत्री पोषण अभियान के तहत स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील पर छाए संकट के बादल, चार माह से नहीं हुआ बजट जारी

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हिमाचल। प्रधानमंत्री पोषण अभियान के अंतर्गत तमाम सरकारी स्कूलों में दोपहर का भोजन बनाया जाता है, यह भोजन बच्चों को पोषण तत्व के आधार पर दिया जाता है। मिड डे मील में बच्चों को दाल, चावल के साथ ही फल भी दिए जाते है, वहीं सप्ताह के हर दिन अलग- अलग प्रकार का खाना बनाया जाता है। कोरोना काल के बाद फिर से मिड डे मील को शुरु किया गया है, लेकिन इस पर संकट के काले बादल छा गए है। मिड के मील के तहत मिलने वाला बजट चार महीने से स्कूलों को नहीं मिला है।

हालांकि बजट न मिलने के बाद भी स्कूलों में मिड डे मील चालू है, शिक्षकों द्वारा अपनी जेब से भुगतान किया जा रहा है। मिड डे मील का बजट न मिलने के साथ ही मिड डे मील के कर्मियों का बजट भी रुका पड़ा है। राशन व गैस का बिल शिक्षक अपनी जेब से भर रहे है। मिड डे मील योजना में 90 प्रतिशत तक की राशि केंद्र सरकार देती है, तो वहीं 10 प्रतिशत की राशि प्रदेश सरकार देती है।

राशि मिलने में इतना समय क्यूं लग रहा है, सभी के मन के यही प्रश्न उठ रहे है। इस पर प्रारंभिक शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. भुवन शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा बजट जारी कर दिया गया है, अब जल्द ही जितनी भी देनदारियां है, उन्हें पूरा कर दिया जाएगा।

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