ऊना जिला के वनरक्षक राजेश कुमार को तिरंगा ओढ़ाकर दी गई अंतिम विदाई

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हिमाचल। प्रदेश के ऊना जिले में जंगल की आग बुझाते हुए वनरक्षक राजेश कुमार आग में झुलस गए थे, राजेश का लगभग 90 प्रतिशत तक शरीर आग में झुलस चुका था। उनका स्थानीय अस्पताल में इलाज किया जा रहा था, लेकिन हालात में सुधार न होने के कारण स्थानीय अस्पताल से उन्हें पीजीआइ चंड़ीगढ़ के लिए रेफर कर दिया गया था। पीजीआइ में दो दिन तक उनका इलाज चलता रहा, लेकिन दो दिन बाद राजेश कुमार जिदंगी की जंग हार गए। राजेश के निधन के बाद घर- परिवार में शौक की लहर है, हर कोई राजेश के बलिदान को याद कर रो रहा है।

हाल ही में हुए थे वनरक्षक के पद पर तैनात

राजेश ने अपनी जान की परवाह न करते हुए जंगल की संपदा व जीव- जंतुओं को बचाने के लिए अपनी जान तक की बाजी लगा दी। राजेश हाल ही में वनरक्षक के पद पर तैनात हुए थे। अपने काम को लेकर पूरी निष्ठा उनके मन में थी। जंगल की संपदा को बचाने के लिए एक ओर राजेश अकेले ही आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे। जिला ऊना के बंगाणा क्षेत्र में लगी आग पर काबू पाने के लिए राजेश अपने साथियों के साथ निकले थे, आग पर लगभग काबू भी पा लिया गया था, लेकिन अचानक तेजी से तूफान चलने लग गया, और तूफान के चलते आग की छोटी चिंगारी ने बड़ा रुप धारण कर लिया।

बलिदानी की तरह किया जाएगा अंतिम संस्कार

देखते ही देखते आग की बड़े लपटे उठने लगी और राजेश इन लपटों से खुद को बचा नहीं सके। अपने कर्तव्य में जान गवाने वाले वनरक्षक राजेश कुमार को आज तिरंगे में लपेटकर प्रशासन ने अंतिम विदाई दी, वहीं एक बलिदानी की तरह राजेश कुमार का अंतिम संस्कार किया जाएगा। वन मंत्री राकेश पठानिया ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि राजेश के बलिदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता। तिरंगा ओढ़ाकर राजेश को अंतिम विदाई दी जा रही है।

पत्नी को आजीवन दी जाएगी पेंशन

वन मंत्री सुबह ही राजेश कुमार के घर पहुंच गए थे, साथ ही उपायुक्‍त और पुलिस अधीक्षक भी मौके पर पहुंचे है। वन मंत्री राकेश पठानिया ने आगे कहा कि वनरक्षक राजेश कुमार की पत्नी को आधा वेतन पेंशन के तौर पर आजीवन भर दिया जाएगा, साथ ही बच्चे को नौकरी भी दी जाएगी।

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