औद्योगिक शहर परवाणू में सेब सीजन शुरु होते ही स्थानीय लोगों की बढ़ी परेशानियां, जानिए वजह
हिमाचल। औद्योगिक शहर परवाणू में सेब सीजन शुरु होते ही स्थानीय लोगों की समस्याएं बढ़ जाती है, यह समस्या केवल इस बार ही नहीं बढ़ी है, बल्कि पिछले 20 वर्ष से यहां पर यह समस्या बनी हुई है, जिसका आज तक कोई तोड़ नहीं किया गया है। वैसे तो हिमाचल प्रदेश सेब के लिए ही विकसित है, यहां के सेब हर एक मंडी तक पहुंचते है, यहां पर अधिकत्तर लोगों का मुख्य व्यवसाय भी सेब का ही है, वहीं परवाणू में भी लोगों का मुख्य व्यवसाय सेब ही है। सेब सीजन के चलते यहां के स्थानीय लोगों की अक्सर समस्याएं बढ़ जाती है। दरअसल सेब सीजन में सबसे पहले लोगों को ट्रैफिक का सामना करना पड़ता है, दिन भर गाड़ियों के शोर गोल के साथ ही घंटों तक सड़कों पर ट्रैफिक लगा रहता है।
सेब के सड़ने- गलने की बदबू से परेशान लोग
इसके साथ ही दूसरी ओर सडे़- गले सेबों की बदबू से भी स्थानीय लोग लगातार परेशान चलते है। परवाणू में सेबों के सड़ने गलने से बदबू फैली रहती है, जिसके चलते लोगों का यहां पर सांस लेना तक मुश्किल साबित हो जाता है। हालांकि इस बार सेब की ग्रेडिंग के लिए टिपरा के नजदीक ही बाईपास पर जगह दी गई है। यहां पर सभी व्यापारी पहुंचकर सेब खरीद रहे है, और सड़े गले सेबों को यहीं छोड़ जा रहे है, जिसके चलते यहां पर सांस लेना भी मुश्किल हो गया है।
इस बार सेब सीजन में सेबों की ग्रेडिंग के लिए चुना गया स्थान
इस बार सिर्फ इतना फर्क हुआ है कि सेबों की ग्रेडिंग के लिए एक स्थान को चुना गया है, वरना और बार कहीं पर भी ग्रेडिंग हो जाती थी, जिसके चलते हर जगह बदबू से लोग परेशान रहते थे। एचपीएमसी के प्रबंधक विनीत कौशिक द्वारा इस मामले में कहना है कि इस बार सेब ग्रेडिंग के लिए उन- उन जगहों को चिह्नित किया गया है, जहां पर सड़े- गले सेबों को छोड़ने के बाद उन्हें वहीं पर दबाया जा सके, जिससे पर्यावरण को दूषित होने के साथ ही लोगों को भी सड़े गले सेबों की बदबू से बचाया जा सके।