राजधानी शिमला में बढ़ा बंदरों का खतरा, सड़कों पर निकलने से सहम रहे लोग

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हिमाचल। प्रदेश की राजधानी शिमला में बंदरों का खतरा बढ़ने लगा है, शहरों की ओर बढ़ रही बंदरों की यह आबादी इंसानों के लिए घातक साबित हो रही है। इन बंदरों ने शिमला शहर में लोगों का घरों से बाहर निकलना तक मुश्किल कर रखा है। बच्चों व महिलाओं को देख तो यह बंदर उन पर ऐसे झपट रहे है, जैसे इन्हें सदियों से कुछ खाने को न मिल रहा है। शिमला शहर में बढ़ रही बंदरों की इस आबादी का मुख्य कारण जंगलों में बंदरों को खाने के लिए कुछ नहीं है, जिसके चलते यह शहरों की ओर बढ़ रहे है।

रोजाना 20 से 30 लोगों पर हमलावार हो रहे बंदर व कुत्ते 

यहां पर रोजाना 20 से 30 मामले बंदरों के काटने के आ रहे है, जिससे रिपन अस्पताल में बंदरों के काटने के मरीज ही बढ़ते नजर आ रहे है। बंदरों के साथ- साथ शिमला में कुत्तों का खतरा भी देखा जा रहा है, यह आवारा कुत्ते है, जिन्होंने लोगों की नाक में दम कर रखा है। किसी को भी गाड़ी से आता- जाता देख यह उस पर झपट जा रहे है। इतना ही नहीं बंदरों और आवारा कुत्तों के कारण शहर की सड़कों पर जगह- जगह कूड़ा फैला हुआ है।

सड़कों पर मचा रहे गंदगी 

बंदर कहीं से भी कूड़ा उठाकर उसमें खाने की तलाश कर फिर उस कूड़े को सड़क पर फेंक दे रहे है, जिसके चलते सड़कों पर कूड़ा ही कूड़ा फैला हुआ है। शिमला में सबसे ज्यादा रिज, मालरोड, संजौली, समरहिल आदि क्षेत्र कुत्तों व बंदरों के आतंक से परेशान है। लोगों द्वारा निगम प्रशासन से बार- बार इसकी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन निगम द्वारा भी अभी तक कुछ प्रक्रिया नहीं दिखाई गई है।

लोगों का घर से निकलना  हुआ मुश्किल 

लोगों का कहना है कि इन बंदरों व आवारा कुत्तों को पकड़कर शहर से दूर छोड़ दिया जाए। बंदरों के आतंक व कुत्तों के डर से लोग सड़कों पर निकलने से भी डर रहे है।

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