भारत रूस से डिस्काउंटेड प्राइस पर गेहूं इंपोर्ट करेगा : गेहूं की बढ़ती कीमतों और महंगाई पर लगाम लगाना चाहता है भारत
भारत और रूस के बीच गेहूं के डिस्काउंटेड प्राइस पर इंपोर्ट के बारे में बातचीत जारी है, जिसका उद्देश्य देश में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करना है। इस कदम के साथ, भारत सरकार उच्च माहंगाई और अनाज की कीमतों पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है। भारत दुनिया भर में बढ़ती कीमतों के बावजूद रूस से गेहूं इंपोर्ट करके इस समस्या का समाधान ढूंढ रहा है।
गेहूं की कीमतों के बढ़ने के कारण भारत सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण है। जुलाई में महंगाई की तेजी के कारण गेहूं की कीमतें उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं। रूस से गेहूं इंपोर्ट करके, भारत सरकार को गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
भारत को केवल 30 से 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन रूस से 80 से 90 लाख मीट्रिक टन गेहूं का इंपोर्ट करने का विचार किया जा रहा है। इससे गेहूं की आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों में गिरावट हो सकती है।
रूस के साथ गेहूं की खरीद पर विचार करते समय सरकार को कुछ हफ्तों का समय लग सकता है। हालांकि, अब तक इस बारे में सरकार का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
इस एक्सपोर्ट के साथ-साथ, भारत रूस से सन-फ्लावर ऑयल भी इंपोर्ट कर रहा है। रूस के साथ क्रूड ऑयल की खरीद में भी डिस्काउंटेड प्राइस का लाभ उठाया जा रहा है।
इस नए प्रयास के माध्यम से, भारत सरकार गरीबों पर महंगाई के प्रभाव को कम करने का प्रयास कर रही है, साथ ही खाद्य वस्तुओं की कीमतों को कम करने की कोशिश कर रही है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश में सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में सहायक साबित हो सकता है।