रिस्क बेस इंस्पेक्शन से फर्मा उद्योग में उठे सवाल

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शिमला, 13 सितंबर 2023: हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योग में रिस्क बेस इंस्पेक्शन के कारण दवाई निर्माता कंपनियों की बढ़ी परेशानी हो रही है। केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय और सीडीएसओ के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को देश के लगभग सभी राज्यों में लागू किया जा रहा है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में हुए 64 ज्वाइंट इंस्पेक्शन में 38 उद्योगों पर कार्रवाई भी की गई है।

उद्योगपतियों का कहना है कि इस इंस्पेक्शन के बावजूद उन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को लेकर शो-कॉज नोटिस का समय भी दिया जाना चाहिए। हिमाचल प्रदेश फार्मा उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि जब रिस्क बेस इंस्पेक्शन किया जा रहा है, तो इसे आधुनिक बनाने के लिए समय भी दिया जाना चाहिए।

इसके अलावा, उद्योग विभाग के द्वारा दी जाने वाली जमीन की लीज 45 साल करने से भी पड़ेगा असर। ऐसे में 45 वर्ष की लीज के बाद नए यूनिट्स को बैंक किसी भी तरह से फाइनांस नहीं करेगा, जिससे नए इन्वेस्टर्स को इस्पात प्रदेश में यूनिट लगाने के लिए इच्छुक नहीं होंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और सीडीएसओ का मानना है कि देश में बनाई जाने वाली दवाएं पब्लिक सेफ्टी और पब्लिक हेल्थ के अनुरूप होनी चाहिए और इन उद्योगों के पैरामीटर भी डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप होने चाहिए।

राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह का कहना है कि प्रदेश में ज्वाइंट इंस्पेक्शन चला हुआ है और पब्लिक हेल्थ और पब्लिक सेफ्टी को लेकर दवा उद्योगों को अपडेट किया जाना जरूरी है।

 

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