मोदी सरकार के नए कानून: राजद्रोह पर नया प्रस्ताव

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भारतीय संसद में प्रस्तुत किए गए तीन नए कानूनी प्रस्तावों में से एक विशेष बात है – ‘राजद्रोह कानून’ की खत्मी का प्रस्ताव। मोदी सरकार द्वारा यह प्रस्ताव पेश किया गया है जिसमें 163 साल पुराने 3 कानूनों को बदलने का मकसद शामिल है। इस प्रस्ताव के माध्यम से सरकार ने राजद्रोह कानून को समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिसका मतलब है कि यह प्रावधान अब नए कानूनी संरचना में शामिल नहीं होगा।

राजद्रोह कानून, जो किसी व्यक्ति द्वारा देश की सम्प्रभुता, एकता या अखंडता को खतरे में डालने वाले किसी भाषण, लेख या शब्दों के माध्यम से देश में अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी गतिविधियों की भावना को उत्तेजित करने को कानून मानता था, अब नए कानूनी संरचना में शामिल नहीं होगा।

नए प्रस्तावित कानून में राजद्रोह के खिलाफ सख्ततम प्रावधानों का प्रस्तुतीकरण किया गया है। यदि कोई व्यक्ति किसी भाषण, लेख, इलेक्ट्रॉनिक संदेश, वित्तीय साधनों के उपयोग, या अन्य साधनों के माध्यम से देश की संप्रभुता, एकता या अखंडता को खतरे में डालने वाले किसी शब्द, संकेत, या प्रयास का परिवर्तन और अपदस्थता के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी।

साथ ही, नए कानून में धारा 150 के तहत कोई भी व्यक्ति जो देश हित के विरुद्ध आलोचना करता है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी। यह कदम सरकार के पक्षकारों के खिलाफ आलोचना करने वालों को जेल भेजने की संभावना को बढ़ा सकता है, जिससे उन्हें देशद्रोही कहने में सरकार को आसानी हो सकती है।

नए कानून के प्रस्तावित प्रावधानों में यह भी बताया गया है कि कानून अब सरल और स्पष्ट होगा, जिससे दुरुपयोग को रोका जा सके। इसके साथ ही, नए कानून में तोड़फोड़ और उग्र विरोध को देश तोड़ने वाला अपराध बताया गया है और उन पर सख्त सजा और जुर्माना का प्रावधान भी है।

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