कौन है मोनू मानेसर, जिसके एक बयान पर भड़का बवाल और जल उठा नूंह?

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कौन है मोनू मानेसर, जिसके एक बयान पर भड़का बवाल और जल उठा नूंह?

हरियाणा के नूंह में सोमवार को ब्रजमंडल शोभायात्रा के दौरान हिंसक बवाल हुआ।  इस पूरे विवाद में मोनू मानेसर का नाम सामने आया है।  मोनू मानेसर गुरुग्राम के मानेसर का रहने वाला है।  28 साल के मोनू का असली नाम मोहित यादव है।  वह बजरंग दल से जुड़ा है और गोरक्षक के तौर पर काम करता है।  सूत्रों के अनुसार, मोनू शादीशुदा है. उसके दो बच्चे भी है।

कुछ माह पहले राजस्थान के भरतपुर निवासी जुनैद-नासिर के शव भिवानी में जली हुई कार में मिले थे।  मोनू मानेसर जुनैद-नासिर हत्याकांड का आरोपी है।  नूंह में यात्रा से पहले उसने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया था।  बताया जा रहा है कि इसी बयान के बाद नूंह जल उठा।

सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है मोनू

इस बयान की प्रतिक्रिया में दूसरे समुदाय के लोगों ने इसका विरोध जताया और मोनू मानेसर को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।  इससे पहले फिरोजपुर झिरका के विधायक मामन खां इंजीनियर भी विधानसभा में मोनू मानेसर को प्याज की तरह फोड़ने का बयान दे चुके थे।  मोनू मानेसर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है।  उसके फेसबुक पर लगभग 83 हजार और यूट्यूब पर 2 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स है. वह अक्सर गोरक्षा से जुड़े वीडियो अपडेट करता है।

मोनू मानेसर का बयान क्या था?

मोनू मानेसर ने नूंह में यात्रा से पहले अपने फेसबुक पर एक बयान जारी किया था।  इस बयान में उसने कहा था कि वह अपनी यात्रा के दौरान जुनैद-नासिर की याद में एक स्मारक स्थापित करेगा।  उसने कहा कि वह इस स्मारक को उन सभी लोगों को समर्पित करेगा जो धर्म के नाम पर मारे गए हैं।

मोनू मानेसर के बयान पर लोगों का क्या प्रतिक्रिया था?

मोनू मानेसर के बयान पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया थी।  कुछ लोगों ने उसके बयान का समर्थन किया, जबकि कुछ ने उसका विरोध किया।  विरोध करने वाले लोगों ने कहा कि मोनू मानेसर का बयान सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देगा।

मोनू मानेसर के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है?

मोनू मानेसर के खिलाफ नूंह में पुलिस ने मामला दर्ज किया है।  उसे हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।  उसे फिलहाल जेल में रखा गया है।

नूंह हिंसा का क्या असर पड़ेगा?

नूंह हिंसा का हरियाणा के राजनीति और समाज पर गहरा असर पड़ेगा।  यह हिंसा सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकती है।  यह हिंसा राज्य सरकार की साख को भी प्रभावित कर सकती है।

नूंह हिंसा से सबक

नूंह हिंसा से सबक यही मिलता है कि हमें सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।  हमें धार्मिक कट्टरता से दूर रहना चाहिए।  हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारी बातों और कार्यों से किसी को भी ठेस न पहुंचे।

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