कोरोना काल में नौकरी जाने के बाद एमबीए पास पति-पत्नी ने शुरु किया दुग्ध व्यवसाय

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हिमाचल। पिछले दो वर्षो से कोरोना महामारी का साया सभी पर इस तरह से पड़ा है, कि किसी ने अपना रोजगार ही खो दिया, तो किसी के ऊपर से मां- बाप का साया ही छीन गया। कोरोना के चलते ज्यादातर लोगों ने अपना रोजगार खोया है। इसी कड़ी में सरकाघाट उपमंडल के हवानी के मनजीत शर्मा व उपासना शर्मा दोनों पति- पत्नी ने भी कोरोना काल में अपना रोजगार खो दिया। दोनों दिल्ली में रहते थे, मनजीत टूर एंड ट्रैवल कंपनी में कार्यरत थे, वहीं उपासना शर्मा निजी कंपनी में एचआर विभाग में कार्यरत थी। कोरोना काल में दोनों पति- पत्नी को वेतन न मिल पाने के कारण घर की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई, जिस कारण दोनों ने दिल्ली छोड़ घर वापस आने का फैसला ले लिया।

रोजाना 100 से 150 लीटर दूध का कर रहे उत्पादन

दोनों पति- पत्नी ने घर वापस आकर डेयरी खोलने का फैसला ले लिया। उपासना और मनजीत दोनों ही स्नातक व एमबीए पास है। दोनों ने अपनी अच्छी सूझ- बूझ से दुग्ध व्यवसाय करने का फैसला किया। उपासना और मनजीत रोज 100 से 150 लीटर दूध का उत्पादन कर कमाई कर रहे हैं। इनकी पशुशाला में 6 देसी नस्ल की 54 गाय हैं, जिसमें से 10 दूधारू गाय हैं।

दूध को भेजा जा रहा दिल्ली, मुंबई

दूध के उत्पाद मौफर्स कंपनी के नाम से दिल्ली और मुंबई तक भेजा जा रहा है। उपासना द्वारा बताया गया कि दिल्ली, मुबंई जैसे शहरों में देसी गाय के दूध की काफी मांग है, जिसे देख रोजगार छिनने के बाद दोनों ने दुग्ध व्यवसाय करने का फैसला किया।

गाय के घी की मांग दिल्ली, मुंबई में अधिक

घर में सास- ससुर के पास पहले से ही कुछ गायें थी, बाद में दुग्ध व्यवसाय के फैसले के बाद दोनों यमुनानगर से देसी नस्ल के गाय ले आए। अब दोनों पति- पत्नी के व्यवसाय में सास- ससुर भी उनकी मदद करते है। देसी गाय के घी की मांग दिल्ली और मुंबई में अधिक है। स्थानीय लोगों को घी 1700 रुपये और दिल्ली व मुबई में 2500 रुपये किलो तक बेचते हैं। दूध 60 रुपये पशुशाला में और घर पहुंचाने पर 65 रुपये प्रति लीटर दिया जाता है, साथ ही दही, लस्सी और पनीर भी तैयार कर बेचा जाता है।

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