लोकसभा की चार सीटों पर 2024 तक करना होगा इंतजार, राहुल की ‘अयोग्यता’ भी जिम्मेदार?

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नई दिल्ली: लोकसभा की चार सीटें – गाजीपुर, अंबाला, पुणे और चंद्रपुर, अभी खाली हैं, और दिखता है कि इन क्षेत्रों के मतदाताओं को अपने सांसद प्रतिनिधियों के लिए 2024 के आम चुनावों तक के इंतजार के अलावा कोई उपाय नहीं है। इससे पहले, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ने तय किया है कि इन सीटों पर अब उपचुनाव नहीं कराए जाएंगे। इससे उपचुनाव करने वाले सांसदों के कार्यकाल को भी छोटा होना होगा, और इस स्थिति में उपचुनाव करवाना मुश्किल है।

2023 के मार्च और मई के बीच खाली हुई चारों सीटों का मामूला एक साल तक बिना किसी सांसद प्रतिनिधि के ही रहने का है। आमतौर पर इसी समय के भीतर चुनाव कराए जाने की प्रक्रिया होती है, लेकिन इस बार यह नहीं होगा।

चुनाव आयोग का तर्क है कि उनके अधिकारी पूरी तरह से 2024 के आम चुनावों की तैयारियों में व्यस्त हैं, इसलिए इन सीटों पर उपचुनाव नहीं कराए जाएंगे।

जब चुनाव होते हैं, तो सांसदों को काम के लिए ज्यादा समय नहीं मिलता है। इस स्थिति में उपचुनाव करवाने की कानूनी प्रक्रियाओं के कारण नवनिर्वाचित सांसदों को मुश्किल से 3 से 4 महीने ही मिलेंगे।

इस वर्ष मार्च से मई के बीच खाली हुई चार सीटें अंबाला, गाजीपुर, पुणे, और चंद्रपुर की हैं। इन सीटों पर चुनाव नहीं होने का मतलब है कि ये सीटें एक साल से भी ज्यादा समय तक खाली रहेंगी।

सीटें खाली होने के 6 महीने के अंदर उपचुनाव का है प्रावधान जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 151ए के तहत चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह संसद या राज्य की विधायिकाओं की खाली हुई सीटों पर उसके रिक्त होने की तारीख से 6 महीनों के अंदर उपचुनावों के माध्यम से भरे।

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