: लंबलेश्वर महादेव मंदिर: हर चार वर्ष के बाद बढ़ता है शिवलिंग का आकार

Spread the love

लंबलेश्वर महादेव मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर ब्यास नदी के किनारे नादौन शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी स्थापना राजा राजेंद्र चंद कटोच ने की थी। मंदिर का निर्माण लगभग 400 वर्ष पुराना है और यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है।

मंदिर की स्थापना के पीछे एक पौराणिक मान्यता है। मान्यता के अनुसार राजा राजेंद्र चंद कटोच को एक रात को सोते समय सपना आया, जिसमें कि ब्यास नदी के किनारे उन्हें एक शिवलिंग की बात का पता चला। राजा ने अपने सैनिक भेजकर इस शिवलिंग को खोजा और वहीं पर कटोच वंश की ओर से इस मंदिर की स्थापना की गई।

मंदिर में स्थापित शिवलिंग की विशेषता यह है कि यह हर चार वर्ष के बाद शिवरात्रि वाले दिन एक चावल के दाने जितना आकार बढ़ा लेता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में विधि-विधान से लगातार 40 दिन इस मंदिर में पूजा-अर्चना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

मंदिर के प्रांगण में राधा-कृष्ण, शिव परिवार, गणपति महाराज, शनिदेव और शीतला माता की मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं और हर वर्ष यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है. इस मंदिर की शैली बैजनाथ में स्थित शिव मंदिर से ली गई है, उसी शैली में इसे बनवाया गया है जो कि आज भी पहले जैसा ही है।

मंदिर के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग का आकार हर चार वर्ष के बाद एक चावल के दाने जितना बढ़ जाता है। इस घटना को इस तरह से समझाया जाता है कि भगवान शिव का आशीर्वाद हर चार वर्ष के बाद इस मंदिर पर बरसता है।

मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। लोग इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

मंदिर एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ एक ऐतिहासिक स्थल भी है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है और यह मंदिर हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और विरासत का प्रतीक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *