कुल्लू भूस्खलन: झकझोर कर रख दिया, पहाड़ दरकने से की प्रदेश में प्रदेश में भयानक माहौल

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प्रस्तावना:
हिमाचल प्रदेश, भारत की आपराधिकता से परिपूर्ण और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जगहों में से एक है। पर्यटकों के लिए स्वर्ग के समान यहाँ की वादियां और पहाड़ी जलवायु आकर्षक होती हैं। लेकिन अब हालातों के कारण इस स्वर्ग की छाया पर काला धब्बा छा गया है। हिमाचल के कुल्लू जिले में हो रहे भूस्खलन की घटनाएँ और अतिक्रमण ने पहाड़ों की प्राकृतिक सुंदरता को खतरे में डाल दिया है। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे पर्यावरणीय संतुलन के खिलाफ की जा रही उत्तराधिकारी गतिविधियों ने कुल्लू के पहाड़ों को एक अपयश की दिशा में केंद्रित किया है।

बदलते दृश्य:
हिमाचल के कुल्लू जिले की ख़ूबसूरत वादियों में एक समय जब घूमने आने वाले पर्यटकों को शांति और स्वर्गीय वातावरण मिलता था, तब उन्हें पहाड़ों की विशाल विशालता और हरियाली की अद्वितीयता का आनंद लेने का मौका मिलता था। परिपूर्ण प्राकृतिक सौंदर्य के बावजूद, अब हिमाचल प्रदेश की कुल्लू जिले की कुछ तहसीलों में बढ़ते हुए होटलों और घरों की संख्या ने पहाड़ों के नजारे को छीन लिया है। यहाँ की वादियों में अब बस होटलों की ऊँची इमारतें ही नजर आती हैं जो कि पर्यावरणीय संतुलन को खतरे में डाल रही हैं। ऐसे में यह एक चिंताजनक परिदृश्य है कि कैसे प्राकृतिक सौंदर्य के खतरे के बावजूद, मनुष्य ने उसे बेहद अहमियत दी जब वो इसे संरक्षित रखता था।

अतिक्रमण की भारी भागदौड़:
पर्यावरणीय संतुलन के खिलाफ हो रहे अतिक्रमण की भारी भागदौड़ हिमाचल प्रदेश की कई क्षेत्रों में दिखाई देती है। विकास की रफ्तार से प्रेरित होकर लोग अपनी आवश्यकताओं के लिए ज्यादा और ज्यादा ज़मीन का अधिग्रहण कर रहे हैं, जिसका परिणामस्वरूप प्राकृतिक स्थितियों में बदलाव हो रहा है।

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