काले महीने की सच्चाई…एक महीने की जुदाई…क्यों अमंगल माना जाता है यह माह, जानिए कांगड़ा।

Spread the love

वर्ष 2023 के 17 अगस्त से एक बार फिर से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में काले महीने का आगाज़ हो गया है। यह महीना, जिसे कांगड़ा में “काला महीना” के रूप में जाना जाता है, एक ऐसी परंपरागत प्रथा को दर्शाता है जिसमें नवविवाहित परिवार की नववेली दुल्हनें अपने मायके जाती हैं और अपने ससुराल में अपने पतियों के साथ जुदाई का सामना करती हैं।

हिमाचल प्रदेश, भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित है और यहाँ की पर्याप्त प्राकृतिक सौंदर्यता, विविधता और सांस्कृतिक धरोहर ने इसे एक खास स्थान पर ले जाया है। हिमाचल की संस्कृति उन्हीं मान्यताओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं की गहराईयों में छिपी है जो आज भी विशेष महत्व रखती हैं।

काले महीने की परंपरा भी इसी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के परिप्रेक्ष्य में स्थापित होती है। सावन मास के बाद आने वाले भाद्रपद माह के अग्रिम दिनों में, जब नवविवाहित दुल्हनें अपने मायके जाती हैं, वे एक महीने तक अपने पतियों से दूर रहती हैं। इस प्रकार की परंपरा का मुख्य उद्देश्य, नयी नवेली दुल्हनों को उनके ससुराल में उनके संजीवनी जीवन के लिए तैयार करना होता है।

हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या के बड़े हिस्से में लोग अब भी गांवों में जीवन जीते हैं और उनके जीवन का मुख्य आधार कृषि और पशुपालन पर है। काले महीने का आगमन बरसाती मौसम में होता है, जिसके कारण खेती में भी उपयोगी कामों की कमी होती है। इस दौरान, नवविवाहित दुल्हनों के ससुराल पक्ष की ओर से उनकी ताजगी की देखभाल और सहयोग की आवश्यकता होती है, और यह उन्हें सहनशीलता और संघर्ष की कठिनाइयों के साथ निपटने की क्षमता प्रदान करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *