87,000 से अधिक भारतीयों ने जून 2023 तक अपनी नागरिकता छोड़ दी
भारत से नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में बताया कि जून 2023 तक 87,000 से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है। 2011 से अब तक 17,50 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है।
जयशंकर ने कहा कि भारतीयों के वैश्विक कार्यस्थल में शामिल होने की संख्या पिछले दो दशकों में काफी बढ़ी है। कई लोगों ने व्यक्तिगत सुविधा के कारण विदेशी नागरिकता लेना चुना है।
भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है, इसलिए जब भारतीय विदेश जाते हैं, तो उन्हें कभी-कभी अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है ताकि वे उस देश में स्थायी निवास प्राप्त कर सकें।
जयशंकर ने कहा कि सरकार ने भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ अपने जुड़ाव में एक परिवर्तनकारी बदलाव लाया है। उन्होंने कहा कि एक सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी समुदाय भारत के लिए एक लाभ है और हमारा दृष्टिकोण प्रवासी नेटवर्क का दोहन करना और राष्ट्रीय लाभ के लिए इसका उपयोग करना है।
हाल ही में, भारत हॉलीनेज पासपोर्ट इंडेक्स 2023 में 80 वें स्थान पर पहुंच गया है। 2022 में, भारत 87 वें स्थान पर था और 60 गंतव्यों के लिए वीजा मुक्त पहुंच थी। 2023 में, भारत 57 गंतव्यों के लिए वीजा मुक्त या वीजा पर आगमन यात्रा की अनुमति देता है।
भारत से नागरिकता छोड़ने के पीछे के कुछ कारणों में शामिल हैं:
- बेहतर जीवन की संभावनाएं: कई भारतीय विदेश जाकर बेहतर जीवन की संभावनाओं की तलाश में हैं। वे उच्च वेतन, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के अवसरों की तलाश कर रहे हैं।
- राजनीतिक अस्थिरता: कुछ भारतीय भारत में राजनीतिक अस्थिरता के कारण अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं। वे एक स्थिर और सुरक्षित जीवन की तलाश में हैं।
- परिवार: कुछ भारतीय अपने परिवार के साथ विदेश में बसने के लिए अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं। वे अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करना चाहते हैं।
भारत से नागरिकता छोड़ने की प्रवृत्ति चिंताजनक है। सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीयों को भारत में ही अच्छी गुणवत्ता की जीवन जीने की संभावनाएं उपलब्ध हों।