राजधानी शिमला की कोट पंचायत में महिलाओं ने चीड़ की पत्तियों से बनाई राखियां

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हिमाचल। प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर कोट पंचायत में महिलाओं ने चीड़ की पत्तियों से राखियां बनाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा दिया है। कोट पंचायत में महिलाएं जंगल से चीड़ की पत्तियां लाकर उनकी राखियां बना रही है, व उचित दामों में बाजार में बेच रही है। महिलाओं द्वारा बनाई गई यह चीड़ के पत्तियों की राखियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। लोग इन राखियों को खूब पसंद कर रहे है, व खरीद भी अच्छी कर रहे है। राखियां बनाने के साथ- साथ कोट पंचायत की महिलाएं चीड़ की पत्तियों से रोटी रखने के डब्बे, पेन स्टैंड जैसी कई वस्तुएं तैयार कर रही है।

विदेशी उत्पादों को देंगी बड़ी चुनौती

महिलाओं ने अपने लिए रोजगार का एक अच्छा प्लेटफॉर्म निकाल लिया है। महिलाओं का कहना है कि भले ही आज उनके उत्पाद बाजार में उस कदर नहीं फैले है, लेकिन आने वाले दिनों में वह विदेशी उत्पादों को बड़ी चुनौती देंगी। कोट पंचायत की महिलाओं ने यह कारोबार हिप्पा से सीखा। कोरोना काल के दौरान जब लोग घरों में आकर बेरोजगार बैठ गए थे, तो उन दिनों हिप्पा में महिलाओं को चीड़ की पत्तियों से सामग्री तैयार करने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। कोट पंचायत की महिलाओं ने अब उस ली हुई ट्रेनिंग का फायदा उठाकर अपना कारोबार शुरु कर दिया है।

स्वदेशी उत्पादों से ही तैयार की गई है राखियां 

महिलाएं बहुत से घरेलू इस्तेमाल के उत्पाद तैयार कर रही है। कोरोना काल के दौरान भी इन महिलाओं ने घर बैठे कई घरेलू इस्तेमाल की वस्तुओं को तैयार किया। चीड़ की पत्तियों से बनी यह राखियां बेहद खुबसूरत है, कोई अनुमान भी नहीं लगा सकता कि यह राखियां चीड़ की पत्तियों से बनी होंगी। इन राखियों की सबसे खास बात यह है कि इनमें थोड़ा सा भी विदेशी सामान इस्तेमाल नहीं किया गया है। सभी स्वदेशी उत्पादों का इस्तेमाल इनमें हुआ है। राखियों के बीच में फूल और उनके बीजों का प्रयोग किया गया है, जिससे राखियां और भी सुंदर और अच्छी लग रही है।

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