उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा में श्रद्धालुओं से हो रही लूट, चुप्पी थामे बैठी प्रशासन
हिमाचल। उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा में हजारों श्रद्धालु पहुंचे हुए है, यात्रा के लिए शिवभक्तों में अटूट श्रद्धा व विश्वास बंधा हुआ है, जिसके चलते बूढे, युवा सभी यात्रा के लिए निकल रहे है, लेकिन यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को इस बीच काफी समस्याएं उठानी पड़ रही है। यात्रा पर पहुंचे श्रद्धालुओं से लूट की जा रही है, और इस पर प्रशासन भी कोई कदम नहीं उठा रही है। श्रद्धालुओं के साथ हो रही लूट से सभी काफी परेशान है, व प्रशासन से लगातार शिकायतें कर रहे है। दरअसल यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिए खाने- पीने से लेकर उठने- बैठने आदि की उचित व्यवस्था की गई है, साथ ही हर एक सेक्टर में एक- एक अधिकारी भी नियुक्त किया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी श्रद्धालुओं के साथ लुट की जा रही है।
श्रद्धालुओं से वसूला जा रहा अधिक किराया
यात्रा पर पहुंचे श्रद्धालुओं से खाने- पीने से लेकर आवागमन में सहायता लेने के लिए घोड़े तक का किराया अधिक वसूला जा रहा है। ह़ड़सर से लेकर मणिमहेश तक के रास्ते में यात्रियों की सुरक्षा- व्यवस्था की दृष्टि से खाने- पीने के लिए स्टाल लगाए गए है, लेकिन यहां पर उचित किराए की जगह अधिक किराया वसूल किया जा रहा है। अलग- अलग पर पहुंचे श्रद्धालुओं से खाने का अलग रेट, घोडे की सवारी का अलग रेट लिया जा रहा है।
निर्धारित मूल्य के आधार पर नहीं परोसा जा रहा खाना
तय मानकों के अनुसार श्रद्धालुओं को खाना भी नहीं परोसा जा रहा है, 10 रुपये की चाय को 20 रुपये में बेचा जा रहा है, वहीं खाने की एक थाली का मूल्य जहां 50 से 60 के बीच में है, तो वहीं यहां अलग- अलग जगह पर इसके अलग मूल्य निर्धारित किए गए है। कहीं पर 90 से 100 रुपये लिए जा रहे है, तो कहीं पर 100 से 110 भी लिए जा रहे है, वहीं 20 से 25 रुपये में बेची जाने वाली मैंगी को 50 से 60 रुपये में बेचा जा रहा है।
900 से 1000 रुपये तक ले रहे घोड़े का किराया
घुड़सवारी का किराया प्रशासन ने हड़सर से डल झील तक 850 रुपये निर्धारित किया है, लेकिन यहां पर श्रद्धालुओं से 900 से 1000 रुपये तक वसुले जा रहे है। श्रद्धालुओं से अधिक किराया वसूले जाने पर प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, जिससे श्रद्धालुओं में रोष उत्पन्न हो रहा है।