हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का पेयजल संकट मामला पहुंचा हाईकोर्ट

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हिमाचल। प्रदेश की राजधानी शिमला में पेयजल संकट गहराया हुआ है, लोगों को पीने के लिए पानी मुहैया नहीं हो रहा है। बिना पानी का लोगों का हाल बुरा है। टैंकरों के माध्यम से पानी की पूर्ति की जा रही है, लेकिन टैंकर भी दो से तीन दिन छोड़कर पहुंच रहा है, ऐसे में लोगों का हाल बुरा चल रहा है। घर- गृहस्थी से लेकर होटलों का व्यापार तक बिना पानी के ठप हो रखा है। जिन लोगों का व्यवसाय होटल पर टिका हुआ है, वहां पानी के न होने से काम धंधा चोपट हो रखा है।

जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों को लगी फटकार

पानी के टैंकर के लिए लोगों की लंबी- लंबी लाइनें लगी हुई है, कई लोगों को तो टैंकर का पानी भी नहीं मिल पा रहा है। शिमला में गहराया यह पेयजल संकट का मामला अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट पहुंच चुका है, इससे प्रदेश सरकार भी हरकत में आ गई है। शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों को तलब कर मंत्री द्वारा फटकार लगाई गई है, साथ ही शहर में टैंकरों से पेयजल व्यवस्था को पटरी पर लाने के निर्देश दिए गए हैं। बीते दिन हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने खुली अदालत में जलसंकट मामले की सुनवाई की।

तीन- तीन दिनों तक करना पड़ा रहा टैंकर का इंतजार

निगम के अधिकारियों द्वारा कोर्ट में बताया गया कि शहरवासियों के लिए कुल 47 एमएलडी पानी की जरुरत है, वहीं गर्मी के कारण केवल 32 एमएलडी पानी की आपूर्ति ही हो पा रही है। कोर्ट में खंडपीठ द्वारा अधिकारियों से पूछा गया कि जब गर्मी से स्रोतों में 32 एमएलडी तक पानी उठाया जा रहा है, तो एक दिन छोड़कर क्यों पानी नहीं दिया जा रहा। लोगों को तीन- तीन दिन तक पानी का इंतजार करना पड़ रहा है।

टैंकरों के माध्यम से पेयजल व्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास

साथ ही गर्मी होने से लोगों को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा होगा, इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। खंडपीठ द्वारा अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई गई, साथ ही सभी को निर्देश दिए गए है, कि शहर में पानी की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए, औऱ शहर में टैंकरों से भी पेयजल व्यवस्था पटरी पर लाने का प्रयास करें।

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