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इस खबर के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में पाया गया है कि हिमाचल के 11 दवा उद्योगों में निर्मित 12 दवाएं और इंजेक्शन सबस्टैंडर्ड हैं, अर्थात् उनमें गुणवत्ता की समस्याएं हैं। इन दवाओं में हाई ब्लड प्रेशर (हाई बीपी), एलर्जी, स्ट्रोक, एंटीबायोटिक, और निमोनिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। कैल्शियम सप्लीमेंट और एंटीसेप्टिक मरहम भी जांच में फेल हुए हैं।

सीडीएससीओ ने अगस्त माह के ड्रग अलर्ट के अंतर्गत देश के विभिन्न राज्यों से 1166 दवाओं के सैंपल इकट्ठा किए थे, जिनमें से 48 दवाएं सबस्टैंडर्ड पाई गईं। इन सबस्टैंडर्ड दवाओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और उनके बैच को बाजार से वापस लाने के निर्देश दिए गए हैं।

राज्य दवा नियंत्रक ने बताया कि उन उद्योगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिनकी दवाएं गुणवत्ता मानक को पूरा नहीं कर रही हैं, और वे जो बार-बार सैंपल फेल हो रहे हैं, उनके लाइसेंस सस्पेंड कर दिए जाएंगे।

इस खबर के अनुसार, सीडीएससीओ और राज्य दवा नियंत्रक द्वारा दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी में गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित दवाओं के लिए सख्ती से कदम उठाया जा रहा है।

 

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