चंद्रयान 3 मिशन: भारत का चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास
भारत का महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान 3 धीरे-धीरे चांद की तरफ बढ़ रहा है। इसके मद्देनजर इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-3 ने दूसरा ऑर्बिट-रेजिंग मैनूवर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 की लोकेशन अब 41603 किमी x 226 किमी के ऑर्बिट में है। यह धरती के चक्कर लगाते हुए उसके गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकलेगा। वहीं अगले चरण के लिए अगली फायरिंग कल दोपहर 2-3 बजे के बीच किए जाने की योजना है।
चंद्रयान 3 की खासियत।
- चंद्रयान 3 मिशन को इसरो ने 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे लॉन्च किया था।
- इस मिशन का लक्ष्य है चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करना।
- रोवर को चांद की सतह पर चलाना और चांद पर मौजूद तत्वों की जानकारी इकट्ठा करना।
- इस यान को तैयार करने में लगभग 700 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
- इस यान का लैंडर चांद के उस हिस्से यानी चांद के वीरान हिस्सों में जाएगा और वहां मौजूद धातु और अन्य तत्वों की जानकारी जुटाएगा।
चांद तक कैसे पहुंचेगा चंद्रयान 3।
- चंद्रयान 3 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM 3) के जरिए पृथ्वी के ऑर्बिट तक का सफर तय किया।
- एलवीएम 3 की लंबाई 43.5 मीटर और वजन 640 टन है।
- यह रॉकेट अपने साथ 8 टन तक का भार लेकर उड़ सकता है।
- चंद्रयान 3 स्पेसक्राफ्ट में लैंडर मॉड्यूल का वजन 1.7 टन, प्रोपल्शन का वजन 2.2 टन और लैंडर के अंदर मौजूद रोवर का वजन 26 किलो है.
चंद्रयान 3 को रॉकेट की मदद से पृथ्वी के ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इसके बाद यह स्पेसक्राफ्ट अपने प्रोपल्शन का इस्तेमाल कर धरती का चक्कर लगाते हुए अपने दायरे को बढ़ाता रहेगा। दायरा धीरे-धीरे बढ़ते हुए चांद के ऑर्बिट तक पहुंच जाएगा, जिसके बाद स्पेसक्राफ्ट चांद के चक्कर लगाना शुरू कर देगा। चांद के ऑर्बिट में पहुंचने के बाद लैंडर को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। बता दें कि इस स्पेसक्राफ्ट को धरती से चांद तक की दूरी तय करने में 45-48 दिन तक का समय लग सकता है।
चंद्रयान 3 का मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष में एक नए मुकाम पर ले जाएगा और भारत को दुनिया के उन देशों में शामिल करेगा, जिन्होंने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है. चंद्रयान 3 के सफल होने से भारत को अंतरिक्ष में और अधिक खोज करने और नई तकनीकों को विकसित करने में मदद मिलेगी।