ब्यास नदी ने 52 साल में चौथी बार मचाई तबाही

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ब्यास नदी ने 52 साल में चौथी बार मचाई तबाही, नेशनल हाईवे का कई जगह मिट गया नामोनिशान

ब्यास नदी ने 52 साल में चौथी बार भारी तबाही मचाई है. इस बार की बाढ़ सबसे अधिक खतरनाक रही है। इस बार बाढ़ से नदी का रुख बदल गया और पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंच गया। नदी का तटीयकरण न होने से भी पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंच गया।

बाढ़ से मनाली से कुल्लू-भुंतर व औट तक भारी नुकसान पहुंचा है. नदी तटों पर बने मकान, दुकानें, होटल व होमस्टे सब पलभर में बह गए. बाहंग को लें तो यहां पानी ने अपना रुख मोड़ लिया और नदी के किनारे बने मकान तो चपेट में आए हैं, साथ में नदी से कोसों दूर स्थित भवनों को भी पानी के तेज प्रवाह ने नहीं छोड़ा। आलू ग्राउंड में भी ऐसा ही मंजर देखने को मिला। नदी तटों से अवैध रूप से खनन करना नदी का रुख मुड़ने की वजह माना जा रहा रहा है।

बाहंग के जोगी राम ने बताया कि बाढ़ में उनका हिमशक्ति होमस्टे बह गया. उन्हें करीब पांच करोड़ का नुकसान हुआ है। नदी का ऐसा रुख मुड़ गया कि 200 मीटर से भी अधिक दूर बना उनका होमस्टे तबाह हो गया। उन्होंने जीवन की सारी पूंजी लगाकर और बैंक से कर्ज लेकर यह निर्माण किया था।

पूर्व बीडीसी जीत राम ने बताया कि बाहंग हमेशा खतरे की जद में रहा है. नदी का तटीयकरण नहीं होना इसकी बड़ी वजह है। भाषणों में अक्सर सुना है कि तटीयकरण किया जाएगा. लेकिन, धरातल पर कुछ नहीं हुआ। स्थानीय निवासी प्रताप ने बताया कि खनन और तटीयकरण नहीं होना तबाही का कारण हो सकता है। आलू ग्राउंड में भी नदी का रुख कई मीटर अंदर जाकर घुस गया। इसकी चपेट में ग्रीन टैक्स बैरियर, दो बड़े-बड़े भवन सहित कई गाड़ियां बह गईं।

बागवान एवं पर्यटन कारोबारी नकुल खुल्लर ने बताया कि बाढ़ से सब तबाह हुआ है। नेशनल हाईवे जल्द से जल्द बहाल होना चाहिए। क्योंकि सेब सीजन सिर पर है। सेब मंडियों तक पहुंचाने के लिए सड़क का बहाल होना जरूरी है। अक्तूबर में शुरू होने वाले पर्यटन सीजन से पहले सड़क दुरुस्त करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

वहीं, पर्यावरणविद किशन लाल ठाकुर का कहना है कि प्रकृति से छेड़छाड़ बाढ़ जैसी घटनाओं की वजह है। हमे अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए. इस बाढ़ से सड़कों को बहुत नुकसान हुआ है।

अवैध डंपिंग पर लगाम के लिए अभियान शुरू हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण अवैध डंपिंग पर लगाम कसने के लिए जागरुकता अभियान चला रहा है। इसके तहत वन विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल शक्ति विभाग, पुलिस विभाग, प्रशासन, पंचायतीराज संस्थानों और स्थानीय निकायों के सहयोग से जागरुकता एवं संवेदनशीलता अभियान चलाया जा रहा है।

सड़कों और राजमार्गों के निर्माण के दौरान अवैध डंपिंग को रोकना अभियान का मुख्य लक्ष्य है। इस अभियान के दौरान कंपनियों, श्रमिकों, नियामक अधिकारियों और स्थानीय समुदायों को अवैध डंपिंग के प्रतिकूल प्रभावों और अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों और नियमों के महत्व के बारे में बताया जा रहा है। जागरूकता कार्यक्रमों की योजना बनाने और इसके कार्यान्वयन के लिए विभागों की टीमों का गठन किया गया है।

अवैध डंपिंग के पर्यावरणीय प्रभाव और निर्माण परियोजनाओं के दौरान अपशिष्ट प्रबंधन के लाभों को बताने वाले ब्रोशर, पोस्टर और वीडियो आदि प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से विकसित और वितरित किए जाएंगे। निर्माण कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिनमें अपशिष्ट पृथक्करण, पुनर्चक्रण प्रणालियों पर जोर दिया जाएगा।

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