भारत-अमेरिका साझा सौदा: फाइटर जेट इंजन के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से बढ़ेगी रक्षा सहयोग

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वाशिंगटन, डीसी – भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग में नया प्रांत खुल रहा है, जिसका मूल्य लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इस सहयोग के तहत, भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू जेट इंजन (fighter jet engine) बनाने का काम जॉयंटली जैसी कंपनी, GE एयरोस्पेस, और भारतीय एयरोनॉटिक्स कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच होगा।

इस सहयोग से नए लड़ाकू जेट के इंजन के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में 80 प्रतिशत का योगदान होगा, जिससे वायुसेना को स्वदेशी सामग्री की उपलब्धता मिलेगी। यह सहयोग संबंधों को मजबूती प्रदान करेगा और दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगा।

इस समझौते के तहत, भारत के अंतरिक्षीय प्रशासनकर्ता प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिका की यात्रा की थी, जहाँ उन्होंने इस सहयोग की घोषणा की थी। यह समझौता उनके द्वारा भारत के आत्मनिर्भरता और रक्षा क्षमताओं को मजबूती देने की प्रतिबद्धता को प्रकट करता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह सहयोग भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि लड़ाकू जेट के इंजन के प्रौद्योगिकी विकास और इसके इस्तेमाल में होने वाली जटिलताओं को देखते हुए सहयोग की आवश्यकता होती है। इस सहयोग से नए लड़ाकू विमान के इंजन में स्वदेशी सामग्री का अधिक इस्तेमाल होगा, जिससे देश की रक्षा क्षमताएं मजबूत होंगी।

सौदे की यह चर्चा सितंबर के महीने में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में भी की जा सकती है, जहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और प्रधानमंत्री मोदी दोनों मौजूद होंगे। इस समझौते से दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के नए दिन आने की संभावना है, जिससे सुरक्षा क्षेत्र में बढ़त की जा सकेगी।

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